बुधवार, 12 सितंबर 2018

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  1. पूरा नाम सुकरात जन्म 469 ई. पू. जन्म भूमि एथेंस मृत्यु 399 ई. पू. मृत्यु स्थान एथेंस पति/पत्नी दो पत्नियाँ- 'मायरटन' तथा 'जैन्थआइप' कर्म भूमि यूनान कर्म-क्षेत्र पाश्चात्य दर्शन प्रसिद्धि दार्शनिक नागरिकता ग्रीक मृत्यु कारण सुकरात पर देवताओं की उपेक्षा करने और युवाओं का भड़काने का आरोप लगाकर मुक़दमा चलाया गया, जिसके फलस्वरूप उसे विष का प्याला पीने के लिए विवश किया गया। शिष्य 'अफ़लातून' और 'अरस्तू' अन्य जानकारी सुकरात एथेंस के बहुत ही ग़रीब घर में पैदा हुआ था। वह सेना की नौकरी में चला गया था और पैटीडिया के युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ा था। ज्ञान का संग्रह और प्रसार, ये ही उसके जीवन के मुख्य लक्ष्य थे। सुकरात (अंग्रेज़ी: Socrates; जन्म- 469 ई. पू., एथेंस; मृत्यु- 399 ई. पू., एथेंस) एक विख्यात यूनानी दार्शनिक था। उसके बारे में कहा जाता है कि वह एक कुरूप व्यक्ति था और बोलता अधिक था। सुकरात को सूफ़ियों की भाँति मौलिक शिक्षा और आचार द्वारा उदाहरण देना ही पसंद था। वस्तुत: उसके समसामयिक भी उसे सूफ़ी समझते थे। सूफ़ियों की भाँति साधारण शिक्षा तथा मानव सदाचार पर वह जोर देता था और उन्हीं की तरह पुरानी रूढ़ियों पर प्रहार करता था। बुद्ध की भाँति सुकरात ने कभी कोई ग्रंथ नहीं लिखा। तरुणों को बिगाड़ने, देवनिंदा और नास्तिक होने का झूठा दोष सुकरात पर लगाया गया और इसके लिए उसे जहर देकर मारने का दंड मिला। परिचय सुकरात का जन्म 469 ईसा पूर्व में एथेंस हुआ था। उसके पिता एक संगतराश थे और उसकी माता दाई का काम करती थीं। सुकरात ने अपना जीवन एथेंस में व्यतीत किया था। प्रारभ में तो सुकरात ने अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाया और उनकी सहायता की। बाद में वह सेना की नौकरी में चला गया। वह पैटीडिया के युद्ध में वीरतापूर्वक लड़ा था। अपनी वार्ताओं के कारण ही सुकरात अपने समय का सबसे अधिक ज्ञानवान व्यक्ति समझा जाता था। कुछ समय तक सुकरात एथेंस की काउंसिल का सदस्य भी रहा था। वहां उसने पूरी इमानदारी और सच्चाई के साथ काम किया, उसने कभी भी गलत का साथ नहीं दिया। चाहे अपराधी हो या निर्दोष, उसने किसी भी व्यक्ति के साथ गलत नहीं होने दिया।[1] विवाह सुकरात के दो विवाह हुए थे। उसकी पहली पत्नी का नाम 'मायरटन' था। उससे सुकरात को दो पुत्र प्राप्त हुए थे। जबकि दूसरी पत्नी का नाम था 'जैन्थआइप'। इसने एक पुत्र को जन्म दिया था। व्यक्तित्व सुकरात देखने में कुरूप था। उसके विषय में यह भी कहा जाता है कि वह बोलता बहुत था। कुछ विद्वानों के अनुसार सुकरात एथेंस में उत्पन्न महानतम व्यक्तियों से भी महान् माना जाता है। सुकरात एक उच्च कोटि का मनीषी तो था ही, वह शत-प्रतिशत ईमानदार, सच्चा एवं दृढ़ संकल्प वाला व्यक्ति था। वह धर्म के संस्थागत रूप को न मानकर धर्म के सैद्धांतिक पक्ष को मानने वाला था। उसकी मान्यताएं ईसाई धर्म की मान्यताओं के निकट थीं। सुकरात सुबह ही अपने घर से निकलकर लोगों को उपदेश देने के लिए निकल पड़ता था। वह लोगों को सच्चा तथा सही ज्ञान प्रदान करके उनका सुधार करना चाहता था।


    राजनीतिक विज्ञान के सिद्धांतों की जड़ सुकरात से ही शुरू होती है


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    साभार bhartdiscovery.org

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